जमीन का सर्वे किसानों (Land Survey In Bihar) के लिए काफी लाभदायक होगा। भूमि सर्वेक्षण का कार्य पूरा होने पर जमीनों के रैयतों को खतियान, नक्शा और नागरिक अधिकार अभिलेख के रूप दिए जाएंगे। अलग-अलग जमीन का अलग-अलग दस्तावेज होगा। इसमें हर एक जमीन नजरी-नक्शा बना रहेगा। आपकी विशेष जानकारी के लिए बता दे कि बिहार में संपूर्ण सर्वे लगभग 70 साल बाद हो रहा है। पिछला सर्वे उनके जमाने में हुआ था जो अब शायद खत्म होने के कगार पर है या पूरी तरह से खत्म भी हो चुके हैं।
छोटे किसानों के बीच नॉलेज की कमी के कारण काफी अफवाहें भी फैल रही है तो इस बारे में आप सभी को सटीक जानकारी होना जरूरी है इसलिए प्रखंड स्तर पर आमसभा बुलाकर इस बारे में अधिकारियों की पहल की जा रही है।
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“70 साल बाद हो रहा सर्वे” अब हर जमीन का होगा यूनिक नंबर
इस बार के सर्वे कंप्लीट होने के बाद जमीन का यूनिक नंबर ULPIN भी दर्ज रहेगा। अधिकार अभिलेख में रैयत का नाम और पूरा पता खाता-खेसरा और एकड़ सहित डिसमिल में रकबा, भूमि का प्रकार लिखा होगा। साथ ही संबंधित रैयत का मोबाइल और आधार नंबर दर्ज रहेगा। अधिकार अभिलेख जिले के बंदोबस्त पदाधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर से जारी किया जाएगा।
क्यों हो रहा जमीन का सर्वे?
दरअसल, सर्वे का मकसद जमीन के रिकॉर्ड को और भी पारदर्शी बनाना है। इससे न सिर्फ जमीन से जुड़े विवाद कम होंगे बल्कि यह भी पता चल सकेगा कि जमीन का असली मालिक कौन है। सरकार को यह जानने में भी मदद मिलेगी कि कितनी जमीन सरकारी है और उस पर किसका कब्जा है।
नए सर्वे के बाद कार्यालय का चक्कर काटने से मिलेगा छुटकारा
मौजूदा समय में किसी भी कार्य के लिए कार्यालय का चक्कर काटना पड़ते हैं और जानबूझकर अधिकारी पैसों के चक्कर में दो-तीन बार आपसे कार्यालय के चक्कर लगवाते हैं और अगर नए सर्वे हो जाती है इसके बाद सारे रेकॉर्ड्स डिजिटल होंगे जिसे आप अपने आधार नंबर के मदद से खुद ही एक्सेस कर उसे डाउनलोड कर पाएंगे प्राप्त कर पाएंगे तो आपको किसी भी अधिकारी के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पटीदारों से बंटवारे में भी इससे काफी सहूलियत होगी।
पूरी तरह सुलझ जाएगा गैरमजरूआ जमीन का विवाद
गैरमजरूआ जमीन को लेकर अक्सर विवाद होता है। हर बड़े प्लॉट के सामने आगे पीछे या किसी जगह पर कुछ जमीन गर्माजारवा होती है जिसके कारण आजीवन वह लड़ाई चलाते आती है और ऐसे में अंचल से लेकर जिलाधिकारी के जनता दरबार में अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जिसे सुलझाने में प्रशासन को काफी समय लग जाता है। इस बीच विवाद बढ़ने पर मारपीट से लेकर हत्या तक की नौबत आ जाती है। यह समस्या दिन प्रतिदिन नासूर बनती जा रही है।
और इस सर्वे के बाद इन सभी गम जरूर जमीन का लाइफटाइम सॉल्यूशन निकल दिया जाएगा। अगर काफी बड़ा क्षेत्र में घर में दरवाजा जमीन उपलब्ध है तो वह भगवान के नाम पर रजिस्टर होगा। जितने भी धार्मिक स्थल के जमीन जो कि वहां के पुजारी के नाम पर रजिस्टर है वह भगवान के नाम पर वापस ट्रांसफर होकर चला जाएगा और सर्वे के बाद से जमीन वह भगवान के नाम का कहलाएगा।
अभी किसी भी मामले को अधिकारियों के सामने में आने के बाद उसे सुलझाने के लिए किसानों से उनके कागजात मांगे जाते हैं जिसमें काफी पुराने पुराने कत्लत होती है जिनका लिखा हुआ पढ़ पाना भी काफी मुश्किल होती है और इस सर्वे के बाद सारे रिकॉर्ड्स ऑनलाइन होंगे तो इसमें कोई भी मामला सामने आती है तो अधिकारियों को ऑनलाइन ही सारे कागजात मिल जाएंगे और वहां से सुधार किया जा सकेगा।