MCLR में की गई 10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी, SBI से Loan लेना हुआ महंगा; जानिए क्या है लेटेस्ट रेट्स

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की तरफ से ग्राहकों को बड़ा झटका लगा है। बैंक ने MCLR की दरों में बढ़ोतरी कर दी है। यह बढ़ोतरी कल्याणी 15 अगस्त 2024 से लागू होगी MCLR में बढ़ोतरी किए जाने का मतलब है कि आप ग्राहकों को मिलने वाला लोन महंगा हो जाएगा। MCLR के बढ़ा दिए जाने से ग्राहकों को इंटरेस्ट रेट अधिक देना होगा जिससे लोन महंगा हो जाएगा ।

क्या है नई दरें? 

SBI का वरनाइट MCLR पहले 8.10 फीसदी था, जिसे अब बढ़ाकर 8.20 फीसदी कर दिया गया है. वहीं महीने भर के MCLR को 8.45 फीसदी कर दिया गया है, जो अभी तक 8.35 फीसदी था. 3 महीने के MCLR में भी 10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करते हुए उसे 8.40 फीसदी से बढ़ाकर 8.50 फीसदी कर दिया गया है।

6 महीने का MCLR 8.75 फीसदी से बढ़ाकर 8.85 फीसदी कर दिया गया है. एक साल के MCLR को 8.95 फीसदी कर दिया है, जो पहले 8.85 फीसदी था. 2 साल के लिए MCLR 8.95 फीसदी से बढ़कर 9.05 फीसदी हो गया है. 3 साल का MCLR 9 फीसदी से बढ़ाकर 9.10 फीसदी कर दिया गया है.

क्या होता है MCLR?

MCLR भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई एक पद्धति है जो कॉमर्शियल बैंक्स द्वारा ऋण ब्याज दर तय करने के लिए इस्तेमाल की जाती है. भारत में नोटबंदी के बाद से इसे लागू किया गया है. इससे ग्राहकों के लिए लोन लेना आसान हो गया है. MCLR वह न्यूनतम दर होती है जिसके नीचे कोई भी बैंक ग्राहकों को लोन नहीं दे सकता है. दरअसल जब आप किसी बैंक से कर्ज लेते हैं तो बैंक द्वारा लिए जाने वाले ब्याज की न्यूनतम दर को आधार दर कहा जाता है. अब इसी आधार दर की जगह पर बैंक MCLR का इस्तेमाल कर रहे हैं.

MCLR बढ़ने पर क्‍यों महंगा होता है लोन?

चूंकि MCLR न्‍यूनतम दर है, ऐसे में ये साफ है कि बैंक इसके रेट के नीचे ग्राहकों को लोन नहीं दे सकते यानी MCLR जितना बढ़ेगा, लोन पर ब्याज भी उतना ही ऊपर जाएगा. ऐसे में मार्जिनल कॉस्ट से जुड़े लोन जैसे- होम लोन, व्हीकल लोन आदि पर ब्याज दरें बढ़ जाएंगी.

हालांकि ऐसा नहीं है कि MCLR बढ़ते ही अगले महीने से आपकी ईएमआई भी बढ़ जाएगी. यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि MCLR रेट बढ़ने पर आपके लोन पर ब्याज दरें तुरंत नहीं बढ़ती हैं. लोन लेने वालों की EMI रीसेट डेट पर ही आगे बढ़ती है.

क्‍या है MCLR का मकसद?

बैंकों के लेंडिंग रेट्स की नीतिगत दरों के ट्रांसमिशन में सुधार लाने और सभी बैंकों की ब्‍याज दरों की निर्धारण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के मकसद से MCLR को लागू किया गया. MCLR लागू होने के बाद से होम लोन जैसे लोन सस्‍ते हुए हैं.

MCLR की गणना धनराशि की सीमांत लागत (Marginal Cost of Funds), आवधिक प्रीमियम (Period Premium), संचालन खर्च (Operating Expenses) और नकदी भंडार अनुपात (Cash Reserves Ratio) को बनाए रखने की लागत के आधार पर की जाती है. बाद में इस गणना के आधार पर लोन दिया जाता है. यह आधार दर से सस्ता होता है. बैंकों के लिए हर महीने अपना ओवरनाइट, एक महीने, तीन महीने, छह महीने, एक साल और दो साल का एमसीएलआर घोषित करना अनिवार्य होता है.

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