इस भागदौड़ भरी जिंदगी में यात्रा करना लोगों के जीवन का एक हिस्सा बन गया है। बहुत से लोग यात्रा करने को लेकर उत्साहित रहते हैं। लेकिन सफर के दौरान आप खुद को काफी सुस्त महसूस करते हैं। आपने भी देखा होगा कि लोग कार में सफर करने से पहले काफी उत्साहित रहते हैं, लेकिन कुछ दूरी तय करने के बाद उन्हें नींद आने लगती है। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? क्या कार में बैठते ही नींद आ जाना स्वाभाविक है या यह कोई बीमारी है। आइए आज इसके पीछे की वजह विस्तार से जानते हैं।
इसको लेकर एक शोध किया गया। पता चला कि इस नींद का कारण हाईवे हाइपोरिस था। यानी जब आपको कहीं यात्रा करनी होती है तो अक्सर लोग इस चिंता में ठीक से सो नहीं पाते कि कहीं कोई सामान पीछे न छूट जाए। कई बार ट्रेन छूट जाने के डर से नींद नहीं आती. इसे निद्रा ऋण कहा जाता है। इससे आपकी इच्छा पूरी नहीं होती। इसके बाद जब आप कार में बैठते हैं तो आपका दिमाग रिलैक्स हो जाता है और आपको नींद आने लगती है।
मन को आराम देने का कारण
शोध से पता चला है कि आपको नींद तभी आती है जब आप यात्रा के दौरान कुछ नहीं कर रहे होते हैं। कुछ न करने की अवस्था में शरीर शिथिल हो जाता है। मन भी शांत रहता है। ऐसे में लोगों को नींद आने लगती है। इस प्रक्रिया को हाइवे सम्मोहन कहा जाता है। अगर आप यात्रा के दौरान कोई ऐसी गतिविधि कर रहे हैं, जिसमें आपका मन पूरी तरह से लगा हुआ है, तो आपको नींद नहीं आएगी। यानी जब आप कोई ऐसा काम कर रहे हैं, जो उबाऊ नहीं है तो आपकी नींद उड़ जाएगी
कार का हिलना भी है वजह
एक तर्क के मुताबिक कार में नींद आने का कारण उसका हिलना है। यह तर्क उसी प्रकार काम करता है जैसे बचपन में छोटे बच्चों को गोद में झुलाया जाता था। विज्ञान की भाषा में इसे रॉकिंग सेंसेशन कहा जाता है। यानि जब आप एक प्रवाह में चलते रहते हैं तो आपको नींद आने लगती है। आपका शरीर स्लीपिंग मोड में चला जाता है। ऐसे में नींद आने लगती है।